ध्यान रखना जिस तरह नदियों का जल बहकर वापिस लौटता नहीं , जैसे पेड़ों से पत्ते टूटकर बिखर जाँएं तो डाल पर वापिस लगते नहीं, गया हुआ श्वास लौटता नहीं और बी्ता हुआ समय कभी हाथ आता नहीं । जीवन में बहुत कुछ हम पाकर खोते है और बहुत कुछ खोकर पाते भी हैं । समय का चक्र लगातार गतिमान रहता है। हर संयोग के बाद वियोग है और हर वियोग के बाद संयोग है। यह द्वंद्वमय संसार है। इस संसार की रीत को समझते हुए अपने आप को कमज़ोर नहीं होने देना। परमात्मा के नाम का सहारा लेना। जिसने उसकी अँगुली थामी है वो अकेला नहीं, उसे सँभालने वाला उसके साथ है। वो निश्चित रूप से आगे बढेगा और तरक्की होगी। अपना मन कमज़ोर न होने दे।
Saturday, June 6, 2015
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