संसार के आकाश में सूर्य को आदर्श मान कर चलो यह संसार तो आकाश की तरह है। जैसे आकाश में कोई पक्षी उड़ता है, उसका कोई पथ नहीं होता- खुला आकाश सबके सामने पड़ा हुआ है उसी तरह भगवान ने सबको स्वतंत्रता दी है। अपनी मंजिल और अपना रास्ता आपको तय करना है। आप कहां-से-कहां जाना चाहते है, यह आपको सोचना है। खुले आसमान में कोई निशान नहीं लगाये गये हैं, जिनसे आपको रास्ता पता लगे। आकाश में कहीं सड़के नहीं हैं । पक्षी उड़ता है तो उसे स्वंय अपने मार्ग का निर्धारण करना पड़ता है। तुम्हारे सामने तुम्हारा रास्ता खुला पड़ा है। अपनी बुद्धि से, अपने ह्रदय की संवेदनाओं से अपना मार्ग चुनो।
Thursday, May 28, 2015
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