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Monday, September 24, 2007

भगवान के नियम, उमंग सदगुण


भगवान के नियम, उमंग सदगुण

है परमदेव परमात्मा! है सच्चिदानंद स्वरूप! है शुद्ध, बुद्ध, मुक्त स्वभाव! इस सम्पूर्ण जगत को आपने सुन्दर स्वरूप प्रदान किया। हम सब आपके अबोध बालक, बालिकाएं, आपको बारम्बार प्रणाम करते हैं। हे प्रभु आपके अनुशासन की डोर में सारा संसार बंधा हुआ है। है जगदाधार। दुनिया में आना जाना, संयोग वियोग, हानि लाभ सब आपके नियमों पर आधारित है। हमारे ऊपर ऐसी दया करना जिससे हम भी सुव्यवस्था को धारण कर अपने जीवन में भक्ति के सुन्दर रंग भर सकें।

है नारायण! हमारा ह्रदय आपके श्रीचरणों से जुडा रहे हमारा मन सदैव आपकी महिमा का मनन करे, हमारा रोम-रोम तेरे भक्तिभाव से पुलकित हो जाए, ताकि हम हर दिन नया उजाला, नई उमगें, नूतन उल्लास अपने जीवन में अपनाकर भक्तिपथ पर अग्रसर हो सकें। व्यवहार प्रेमपूर्ण हो आशीर्वाद प्रदान करना।

है दीनानाथ! आप सबकी झोलियाँ भरते हैं, हमारी भी कामना है कि दुःख, दारिद्र्य, दुष्कर्मों से उचित दूरी बनाकर सदगुणों से अपना ऐसा श्रृंगार करें कि तेरी दया के सत्पात्र बन जाएँ तथा आपके सुयोग्य पुत्र -पुत्रियाँ कहला सकें। है परम पावन प्रभू। हम आपकी आज्ञा का पालन करते हुए अपने जीवन को सफ़ल बनाने का प्रयास करें!
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यही प्रार्थना ,याचना है स्वीकार करो!
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ॐ शान्ति !शान्ती! ! शान्ती !!!
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