Sunday, September 30, 2007
देवों के देव महादेव
हे देवाधिदेव महादेव ! हे सच्ग्क्गीदानंद! काल आपके अधीन है ,आप काल से मुक्त हैं ! जिसे मृत्यु जीतनी है ,उसे तो आपमें स्थित होना चाहिय ! आपका मन्त्र मृत्युँजय है !
है शंकर ! है शिवा ! आप त्र्यम्बक अर्थात तीन नेत्रों वाले हैं ! सत्यम ,शिवम और सुन्दरम आपके तीन नेत्र हैं ! आप ज्ञान ,कर्म और भक्ती को धारण करते हैं !भू:, भुव: और स्व: -भूमि ,अंतरिक्ष ,और धुलोक सब आपमें ही व्याप्त है ! जीवन ,मृत्यु और मुक्ति तीनों ही आपके नेत्र हैं ! आप बालचन्द्र ,गंगा और शक्ति -तीनों को धारण करते है ! आप जग का कल्याण करते हैं ! प्रभु ! हम कल्याण मार्ग के पथिक बनें ,यह हमारी विनती है !
ॐ शान्ति : शान्ती : शान्ति :
आचार्य सुधांशु जीं महाराज
जीवन संचेतना फ़रवरी २००४ से
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