आप ही ज्योतिमर्य है
हे प्रभु! हे जीवन के आधार! हे दयालुदेवा! आप ही ज्योतिमर्य है, आप प्रकाशस्वरूप है, इसलिये हम विनंती करते है। प्रभु! 'असतो माँ सद्गमय तमसो माँ ज्योतिम्रमय म्रुत्योम्रा अमृतं गमय!' हे प्रभु! जो असत है, उस असत के पथ से हमको सुपथ पर लेकर चलिए। जो मार्ग हमको भटकाते है, जिन मार्गो पर चलते - चलते जीवन के ल्क्ष्य से हम दूर हो जाये, विनाशशील संसार मे विनाश करने के लिए उर्जा को, अपनी शक्तिं को लगाते रह जाये, उस मार्ग से हमको अप बचाइए और जिस मार्ग पर चलने से हम अपने जीवन मे उन्नत हो, सूखी हो, प्रसन्न हो शांत हो, आनंदित हो, हे प्रभु! वही मार्ग हमको देना। है दयालुदेव! हमारी विनंती है कि जो अँधेरा है उसके पर हम निकल सकें अपने अंधेरों के पार निराशा के पार, दुख के पार। अपनी उलझनो के पार समंस्य़ायों से दूर आगे बढकर इन सब स्थितियों को जीतकर जो प्रकाश का मार्ग है, उसका अवलंबन करे। दयालु देव! हमारी यह भी याचना है कि जो पीडा है, दुःख है, संताप है, उस सबसे हम ऊपर उठ जाये, उससे बच सके परम अमृत को प्राप्त क्र सके, ऐसी दिशा हमको दीजिए हमारी मति को सुमति बनाये यही विनती है हमारी। कृपया इसे स्वीकार कीजिये
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Wednesday, September 26, 2007
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1 comment:
Hari om Ji ,ye mera so bhagya hai ki maine pujya shri ji se diksha le hai magar me mai unke satsaango se wanchit hoon aap ki prarthna bahut pyari hai
kya aap muje khuch jankari de sakte hai mahrajshri ke satsaang kaise melsakte hai audio ya vedio main taki hum unke satsaango ka labh utha sake.Nahi to unke messege
hi Meri mail Id hai - kishanthelegend@gmail.com Kripya jawab de guruwar sab par kripa kare .Hari Om Ji
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